'जिन्दगी का सफ़र'
हँसना भी है, मुस्कुराना भी है
जरूरत पडे़, तो आँसू बहाना भी है
जिन्दगी रूलाए, गम भी आकर सताए
फिर भी आगे कदम बढाना भी है
इन कदमों की आहट को मैं सुनता,सुनाता,
कुछ हकीकत जिन्दगी की दिखलाता हूँ
हम कौन है?
अभी यह भी तो बतलाता हूँ
वक्त की कठपुतलियाँ है, हम
वक्त जहाँ ले जाए, सब को वहाँ जाना है
जो किस्से-कहानियाँ है,जिन्दगी की
अभी उनको भी तो सुनाना है
उलझने बहुत है, जिन्दगी में
पर जिन्दगी को अभी जिन्दगी से रूबरू करवाना भी है
मैं नहीं कहता,जिन्दगी का मोह तोड़ दे
पर खुद पहले मर मरकर जीना छोड़ दे
वक्त गुजरता रहेगा, हमेशा
वक्त को पीछे छोड़ कर
पर अगर जीना है,तो वक्त से कदम मिलाना भी है
मैं नहीं कहता, जिन्दगी बेवफा है
पर जो समझ न आए,उससे कैसी वफा की जाए
क्यों न मौत को मेहबूब मानकर उसके ही संग चला जाए
मुसाफिर है,हम
फिर मुसाफिर बनकर ही क्यों न जिया जाए
जब सफ़र ही मौत का है
तो सफ़र का ही क्यों न मौज लिया जाए
मानकर उसको ही जिन्दगी की मंजिल
क्यों न जिन्दगी से मिला जाए
मैं नही कहता,कि तुम हार गए
फिर भी मौत ने ही जीती बाजी,
और ज़िन्दगी हार गई
यह तो वक्त का खेल है
जिन्दगी का मौत से मेल है
फिर क्यों न मुस्कुराकर जी लिया जाए
मैं तो कहता हूँ,
जब सफ़र ही मौत का है, तो
क्यों न मौत को हमसफ़र बनाकर चला जाए ।
हँसना भी है, मुस्कुराना भी है
जरूरत पडे़, तो आँसू बहाना भी है
जिन्दगी रूलाए, गम भी आकर सताए
फिर भी आगे कदम बढाना भी है
इन कदमों की आहट को मैं सुनता,सुनाता,
कुछ हकीकत जिन्दगी की दिखलाता हूँ
हम कौन है?
अभी यह भी तो बतलाता हूँ
वक्त की कठपुतलियाँ है, हम
वक्त जहाँ ले जाए, सब को वहाँ जाना है
जो किस्से-कहानियाँ है,जिन्दगी की
अभी उनको भी तो सुनाना है
उलझने बहुत है, जिन्दगी में
पर जिन्दगी को अभी जिन्दगी से रूबरू करवाना भी है
मैं नहीं कहता,जिन्दगी का मोह तोड़ दे
पर खुद पहले मर मरकर जीना छोड़ दे
वक्त गुजरता रहेगा, हमेशा
वक्त को पीछे छोड़ कर
पर अगर जीना है,तो वक्त से कदम मिलाना भी है
मैं नहीं कहता, जिन्दगी बेवफा है
पर जो समझ न आए,उससे कैसी वफा की जाए
क्यों न मौत को मेहबूब मानकर उसके ही संग चला जाए
मुसाफिर है,हम
फिर मुसाफिर बनकर ही क्यों न जिया जाए
जब सफ़र ही मौत का है
तो सफ़र का ही क्यों न मौज लिया जाए
मानकर उसको ही जिन्दगी की मंजिल
क्यों न जिन्दगी से मिला जाए
मैं नही कहता,कि तुम हार गए
फिर भी मौत ने ही जीती बाजी,
और ज़िन्दगी हार गई
यह तो वक्त का खेल है
जिन्दगी का मौत से मेल है
फिर क्यों न मुस्कुराकर जी लिया जाए
मैं तो कहता हूँ,
जब सफ़र ही मौत का है, तो
क्यों न मौत को हमसफ़र बनाकर चला जाए ।
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