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Sunday 24 February 2019

'गरीबी'

     'गरीबी'

गरीबी गरीब को मिटा देती

भूखे पेट बच्चे को माँ लेटा देती

कुछ होता तो उसको खिला देती

यों भूखा सुलाकर सजा न देती

गरीबी तब जमीर को हिला देती

कहती क्यों न ईश्वर से मिला देती

गरीबी मजबूर करके रूला देती

जब माँ बच्चे को भूखे पेट सुला देती

होते जो पैसे तो बच्चे को कुछ ला देती

यों भूखा सुलाकर सजा तो न देती

गरीबी रूखा-सूखा खिला देती

भगवान के नाम को भी भूला देती

गर्मी में बिन कपड़े तन जला देती

तो ठण्ड़ में भी बिन कपड़े सुला देती

बारिश में तो अम्बर को ही छत बना देती

गरीबी गरीब को भूखा रहना सिखा देती

जीवन की हकीकत भी दिखा देती

गरीबी रोकर भी हँसना बतला देती

सोते हूए बच्चे को माँ प्यार से सहला देती

और क्या? कुछ होता तो खिला न देती

बिन छत और घर के रहना सिखा देती

गरीबी गरीब का सब कुछ बिका देती

चंद पैसों के लिए मोहताज बना देती

कर्ज के साहूकारों से छिपना सिखा देती

गरीबी गरीब की हँसी उड़ा देती

जब माँ बच्चे को भूखा सुला देती

जो कुछ होता तो क्या खिला न देती।

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