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Friday, 8 March 2019

युवा

      'युवा'
राष्ट्र निर्माण अगर है करना
तो युवाओं को होगा अपना दम भरना
युवा ही देश की पहचान बनायेगा
युवा विकसित होगा तो
राष्ट्र भी विकसित हो जायेगा
युवा से ही बनता देश महान है
भगतसिंह, आजाद से
आज भी देश में कईं जवान है
बार-बार यह बोला, युवाओं से
स्वामी जी का भी था कहना
युवा जो मिलकर कदम बढायेगा
युवा शक्ति के संगठन से ही
राष्ट्र में नव निर्माण है हो पायेगा
युवा जब अपना दम, शक्ति लगायेगा
फिर राष्ट्र में प्रगति का सैलाब है लायेगा
जो युवा ने कोशिश की तो
तकनीकी का दौर नया आ जायेगा
देश का युवा जब चाहेगा
राष्ट्र का नव निर्माण हो जायेगा।

Sunday, 24 February 2019

'गरीबी'

     'गरीबी'

गरीबी गरीब को मिटा देती

भूखे पेट बच्चे को माँ लेटा देती

कुछ होता तो उसको खिला देती

यों भूखा सुलाकर सजा न देती

गरीबी तब जमीर को हिला देती

कहती क्यों न ईश्वर से मिला देती

गरीबी मजबूर करके रूला देती

जब माँ बच्चे को भूखे पेट सुला देती

होते जो पैसे तो बच्चे को कुछ ला देती

यों भूखा सुलाकर सजा तो न देती

गरीबी रूखा-सूखा खिला देती

भगवान के नाम को भी भूला देती

गर्मी में बिन कपड़े तन जला देती

तो ठण्ड़ में भी बिन कपड़े सुला देती

बारिश में तो अम्बर को ही छत बना देती

गरीबी गरीब को भूखा रहना सिखा देती

जीवन की हकीकत भी दिखा देती

गरीबी रोकर भी हँसना बतला देती

सोते हूए बच्चे को माँ प्यार से सहला देती

और क्या? कुछ होता तो खिला न देती

बिन छत और घर के रहना सिखा देती

गरीबी गरीब का सब कुछ बिका देती

चंद पैसों के लिए मोहताज बना देती

कर्ज के साहूकारों से छिपना सिखा देती

गरीबी गरीब की हँसी उड़ा देती

जब माँ बच्चे को भूखा सुला देती

जो कुछ होता तो क्या खिला न देती।

Tuesday, 12 February 2019

जिन्दगी का सफ़र

'जिन्दगी का सफ़र'
हँसना भी है, मुस्कुराना भी है
जरूरत पडे़, तो आँसू बहाना भी है
जिन्दगी रूलाए, गम भी आकर सताए
फिर भी आगे कदम बढाना भी है
इन कदमों की आहट को मैं सुनता,सुनाता,
कुछ हकीकत जिन्दगी की दिखलाता हूँ
हम कौन है?
अभी यह भी तो बतलाता हूँ
वक्त की कठपुतलियाँ है, हम
वक्त जहाँ ले जाए, सब को वहाँ जाना है
जो किस्से-कहानियाँ है,जिन्दगी की
अभी उनको भी तो सुनाना है
उलझने बहुत है, जिन्दगी में
पर जिन्दगी को अभी जिन्दगी से रूबरू करवाना भी है
मैं नहीं कहता,जिन्दगी का मोह तोड़ दे
पर खुद पहले मर मरकर जीना छोड़ दे
वक्त गुजरता रहेगा, हमेशा
वक्त को पीछे छोड़ कर
पर अगर जीना है,तो वक्त से कदम मिलाना भी है
मैं नहीं कहता, जिन्दगी बेवफा है
पर जो समझ न आए,उससे कैसी वफा की जाए
क्यों न मौत को मेहबूब मानकर उसके ही संग चला जाए
मुसाफिर है,हम
फिर मुसाफिर बनकर ही क्यों न जिया जाए
जब सफ़र ही मौत का है
तो सफ़र का ही क्यों न मौज लिया जाए
मानकर उसको ही जिन्दगी की मंजिल
क्यों न जिन्दगी से मिला जाए
मैं नही कहता,कि तुम हार गए
फिर भी मौत ने ही जीती बाजी,
और ज़िन्दगी हार गई
यह तो वक्त का खेल है
जिन्दगी का मौत से मेल है
फिर क्यों न मुस्कुराकर जी लिया जाए 
मैं तो कहता हूँ,
जब सफ़र ही मौत का है, तो 
क्यों न मौत को हमसफ़र बनाकर चला जाए ।                           

Monday, 11 February 2019

'लोकतंत्र की परिभाषा'


 'लोकतंत्र की परिभाषा'
लोकतंत्र की यह परिभाषा है
सत्ता में जो आता और जाता है
प्रजातंत्र के नाम पर
अपनी सरकार बनाता है
केवल अपनी सत्ता के लालच में
वह जनता को भरमाता है
जो शासन था कल तक जनवादी
अब वह धनवादी कहलाता है;
प्रजातंत्र के नाम पर
अब देखो कैसा खेल चलाया है
हर दम ही देखो जनता को
सत्ता के लालच ने छलाया है
जो कल तक थे अपराधी
अब देखो नेता बन के खड़े है;
वाह! प्रजातंत्र का क्या हाल है?
प्रजातंत्र के देश में प्रजा ही बेहाल है
जिस प्रजातंत्र की थी बात रंग-बिरंगी
हिन्दु-मुस्लिम थे जिसमें संगी
वोट बैंक के नाम पर
अब वो देखो बन गए दंगी;
प्रजातंत्र के नाम पर
अब देखो कैसा तंत्र चला है?
नेता ने नेता से सत्ता पाने को
प्रजातंत्र के नाम का युद्ध लडा़ है
जो कल तक था जनता का
अब सत्ता पाकर मुँह फैर खडा़ है;
जिसको पाने की ख़ातिर
जनता ने खून बहाया था
तब जाकर इस
प्रजातंत्र को पाया था
कल तक गैरो ने था लुटा जिसको
अब अपनो ने ही उसको लुटाया है;
प्रजातंत्र में देखो अब
कैसा मौका आया है?
अपने ही शासन में अब हमने
अपनों से धौखा खाया है;
अब तो जनता का है
 बस इतना कहना
अब बन्ध करो,अब बन्ध करो
प्रजातंत्र के नाम पर
जनता को मत तंग करो।